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जब साधक अध्यात्मजगत में अपनी यात्रा प्रारंभ करता है ,तब वह विनय,विरह,साक्षात्कार,व संयोग के दिव्य सोपानों पर क्रमशः अग्रसर होता है ।यह आध्यात्मिक अन्तर्यात्रा ही सभी साधकों की जीवन नाड़ी है ।
इसी अन्तर्यात्रा को दिग्दर्शित करने वाले भावगीतों का संग्रह अन्तर्यात्रा में संग्रहित है ।